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पन्नाधाय जीवन अमृत योजना (जनश्री बीमा योजना)
1. गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार को बीमा का लाभ देने के लिए 'पन्नाधाय जीवन अमृत योजना' 14 अगस्त, 2006 से राजस्थान राज्य में भारतीय जीवन बीमा निगम की 'जनश्री बीमा योजना' के रूप में योजना प्रारम्भ की गई है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्र के लिये बी.पी.एल. सर्वे 2002 एवं शहरी क्षेत्र के लिए बी.पी.एल. सर्वे 2003 में चयनित परिवारों के लिए प्रारम्भ की गई है। दिनांक 14.08.07 से आस्था कार्ड धारक परिवारों को भी इस योजना में सम्मिलित किया गया है। 2. 'पन्नाधाय जीवन अमृत योजना' के अन्तर्गत बीमित परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर 30 हजार रूपये तथा दुर्घटना मृत्यु की स्थिति में 75 हजार रूपये देने का प्रावधान किया गया है। योजना में शारीरिक अपंगता होने पर भी सहायता राशि भुगतान करने का प्रावधान है। बीमित सदस्य के कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के दो बच्चों को 100 रूपये प्रतिमाह की दर से प्रतिवर्ष तिमाही आधार पर छात्रवृत्ति देने का प्रावधान भी इस योजना के अन्तर्गत है। मूल रूप से यह योजना राज्य सरकार द्वारा समाज के निर्धनतम परिवार को आर्थिक सहायता पहुंचाने के उद्देश्य से नि:शुल्क संचालित की जा रही है। योजनान्तर्गत बीमित परिवार के बीमित सदस्य की प्रीमियम राशि 100 रूपये प्रतिवर्ष का राज्य सरकार द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम को भुगतान किया जायेगा। 3. योजना का नोडल विभाग सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, राजस्थान सरकार होगा। योजना के लागू होने के साथ ही 'राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना' जिसके अन्तर्गत गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार के कमाऊ सदस्य की मृत्यु होने पर उसके परिवार को मात्र 10,000 रूपये की सहायता दिये जाने की व्यवस्था थी, समाप्त हो गई है तथा पन्नाधाय जीवन अमृत योजना जो गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए अधिक लाभप्रद है, उस योजना का स्थान ले लिया है। 4. राज्य सरकार की कार्यकारी एजेन्सी :- (1) योजना का क्रियान्वयन ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत में पदस्थापित ग्राम सेवक के द्वारा संबंधित विकास अधिकारी के माध्यम से तथा शहरी क्षेत्र में नगरपालिका/ नगरपरिषद्/ नगर निगम के अधिशाषी अधिकारी/ आयुक्त/ मुख्य कार्यकारी अधिकारी के माध्यम से किया जायेगा। (2) योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी ग्रामीण क्षेत्र में प्रमुख शासन सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग एवं शहरी क्षेत्र में प्रमुख शासन सचिव, स्थानीय निकाय विभाग, राजस्थान सरकार की होगी। (3) ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम सेवक एवं शहरी क्षेत्रों में अधिशाषी अधिकारी/ आयुक्त/ मुख्य कार्यकारी अधिकारी इस योजना के अन्तर्गत बीमित व्यक्ति के परिवार को लाभ दिलाने के संबंध में आवश्यक दावा आवेदन पत्र/छात्रवृत्ति आवेदन पत्र/सूचनाएं विकास अधिकारी/जिला परिषद के माध्यम से भारतीय जीवन बीमा निगम को प्रेषित करने के लिए राज्य सरकार का अधिकृत प्रतिनिधि होगा एवं योजना से संबंधित समस्त रिकार्ड का संधारण करेगा। (4) ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम सेवक विकास अधिकारी, पंचायत समिति को प्रतिमाह भिजवाये गये बीमा दावा आवेदन पत्रों/ छात्रवृत्ति आवेदन पत्रों की सूचना सम्बन्धित पंचायत समिति में आयोजित होने वाली मासिक बैठक में आवश्यक रूप से प्रस्तुत करेगा, जिनकी समीक्षा कर विकास अधिकारी भारतीय जीवन बीमा निगम से प्रतिमाह निस्तारण की कार्यवाही हेतु पत्र व्यवहार कर बीमित व्यक्ति के परिवार को बीमा एवं छात्रवृत्ति का लाभ दिलाना सुनिश्चित करेंगे, जिसकी एक प्रति जिला परिषद को देंगे। (5) ग्राम सेवक के पदस्थापन नहीं होने, अवकाश पर रहने या अन्य किसी कारण से उपलब्ध न होने की स्थिति में योजनान्तर्गत कार्यवाही करने हेतु सम्बन्धित पंचायत समिति का विकास अधिकारी आवश्यक कार्यवाही हेतु अपने स्तर पर व्यवस्था करेगा। (6) शहरी क्षेत्रों में जिला परियोजना/ परियोजना/ नोडल अधिकारी द्वारा प्रतिमाह आयोजित बैठकों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी/ आयुक्त/ अधिशाषी अधिकारी भारतीय जीवन बीमा निगम को प्रतिमाह भिजवाये गये बीमा दावा आवेदन पत्रों/ छात्रवृत्ति आवेदन पत्रों की सूचना प्रस्तुत करेंगे। जिनकी समीक्षा कर जिला परियोजना/ परियोजना/ नोडल अधिकारी जीवन बीमा निगम से प्रतिमाह निस्तारण की कार्यवाही हेतु पत्र व्यवहार कर बीमित व्यक्ति के परिवार को नि:शुल्क बीमा एवं छात्रवृत्ति का लाभ दिलाना सुनिश्चित करेंगे। 5. भारतीय जीवन बीमा निगम के अधिकृत कार्यालय का पता :- इस योजना के अर्न्तगत बीमा विकल्प पत्र, बीमा दावा आवेदन पत्र, छात्रवृत्ति आवेदन पत्र भेजना एवं पत्र व्यवहार भारतीय जीवन बीमा निगम, पेंशन एवं सामुहिक बीमा इकाई, जीवन प्रकाश भवन, द्वितीय तल, भवानी सिंह रोड, जयपुर से किया जायेगा। 6. बी.पी.एल. एवं आस्था कार्डधारक परिवार के व्यक्ति को बीमा लाभ :- (1) पात्रता : राजस्थान सरकार द्वारा गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले एवं आस्था कार्ड धारक परिवारों की जारी की गई सूची में उल्लेखित परिवार का मुखिया, जिसकी आयु 18 वर्ष से 59 वर्ष (दोनों तिथियां सम्मिलित तथा आयु पिछले जन्मदिन पर) के बीच की हो। ऐसे परिवार के मुखिया की आयु 60 वर्ष से एक दिन भी अधिक होने की स्थिति में उसके परिवार कार्ड में उल्लेखित वरिष्ठतम (सबसे बड़ा) व्यक्ति पात्र होगा। मुखिया का यह भी विकल्प होगा कि वह चाहे तो अपने को बीमित कराये या मुख्य आजीविका कमाने वाले का बीमा कराये। मुखिया द्वारा इस सम्बन्ध में दिया गया विकल्प पत्र योजना लागू होने के तीन माह की अवधि में सम्बन्धित ग्राम पंचायत के ग्रामसेवक या सम्बन्धित नगरपालिका/ नगर परिषद्/ नगर निगम के अधिशाषी अधिकारी/ आयुक्त/ मुख्य कार्यकारी अधिकारी के माध्यम से भारतीय जीवन बीमा निगम के जयपुर कार्यालय में आवश्यक रूप से पहुंच जाना चाहिए। जो व्यक्ति विकल्प दे रहा है, वह तथा जिसका बीमा प्रस्तावित किया गया है, वह दोनों ही व्यक्ति उस विकल्प के बीमा कार्यालय में पहुंचने के समय तक जीवित होने चाहिए। विकल्प देने का प्रपत्र (अनुलग्नक-1) संलग्न है। (2) आयु का प्रमाण : बी.पी.एल. सूची/आस्था कार्ड में जो आयु अंकित होगी वही मान्य होगी और यह आयु बी.पी.एल. सूची के प्रकाशन/आस्था कार्ड जारी की दिनांक को मानी जायेगी। बी.पी.एल. सूची/आस्था कार्ड में आयु अंकित नहीं होने पर मतदाता सूची में अंकित आयु/ मतदाता पहचान पत्र में अंकित आयु/ राशन कार्ड में अंकित आयु जो भी उपलब्ध हो, मान्य होगी। (3) मनोनयन : बीमित व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसकी पत्नी अथवा पति को बीमा राशि भुगतान करने के लिए मनोनीत माना जायेगी। बीमित व्यक्ति की पत्नी/ पति के जीवित नहीं होने पर बीमित व्यक्ति के परिवार कार्ड में अंकित सबसे बड़ी सन्तान को मनोनीत माना जायेगा। बीमित व्यक्ति की पत्नी अथवा पति या किसी बच्चे के जीवित नहीं होने की स्थिति में बी.पी.एल./आस्था कार्डधारक परिवार की सूची में अंकित ऐसे परिवार के सबसे बड़े सदस्य का स्वत: नामितीकरण (नोमिनेशन) का प्रावधान है। (4) हित लाभ : 1. इस योजनान्तर्गत बीमित व्यक्ति के नामित सदस्य को निम्न लाभ देय होगा, जिसका भुगतान भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा किया जायेगा। (अ) सामान्य मृत्यु होने की दशा में 30 हजार रूपये। (ब) दुर्घटना होने की स्थिति में :- क) मृत्यु होने पर 75 हजार रूपये। ख) स्थायी पूर्ण शारीरिक अपंगता होने पर 75 हजार रूपये। ग) 2 आंख या 2 हाथ/पैर (Limb) या एक आंख व एक हाथ/पैर (Limb) की क्षति होने पर 75 हजार रूपये। घ) एक आंख या एक हाथ/पैर (Limb) की क्षति होने पर 37 हजार 500 रूपये। 2. यहां पर दुर्घटना के कारण मृत्यु/ स्थायी पूर्ण अपंगता/ आंशिक अपंगता का अर्थ मृत्यु अथवा अपंगता से है, जो कि दुर्घटना होने से 3 कलेण्डर माह के मध्य की हो। इसमें कोई जानबूझकर स्वयं को पहुंचाई गई चोट, आत्महत्या या आत्महत्या का प्रयास अथवा शराब, नशीले पदार्थों का सेवन, दंगे, सिविल कोमोशन, विद्रोह, आक्रमण, युद्ध, शिकार के कारण लगी चोट, पर्वतारोहण आदि में लगी चोट अथवा मृत्यु सम्मिलित नहीं है। 7. प्रक्रिया :- (1) राज्य सरकार द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम को गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले एवं आस्था कार्डधारक व्यक्तियों की प्रमाणित सूची उपलब्ध कराई जायेगी। (2) बीमित व्यक्ति की मृत्यु होने की स्थिति में इस योजना के अन्तर्गत दावा मृत्यु की तिथि से 6 माह की अवधि में आवश्यक रूप से प्रस्तुत किया जायेगा। दावा प्रस्तुत करने का प्रपत्र (अनुलग्नक-2) संलग्न है। यह प्रपत्र ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम सेवक विकास अधिकारी के माध्यम से एवं शहरी क्षेत्र में अधिशाषी अधिकारी/ आयुक्त/ मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा बीमित व्यक्ति के नामित व्यक्ति से स्वयं पूर्ण कराकर भारतीय जीवन बीमा निगम के जयपुर कार्यालय को भेजा जायेगा। नामित व्यक्ति द्वारा बैंक में बचत खाता खुलवाकर प्रपत्र में खाता संख्या/ बैंक का नाम अंकित करना होगा। जीवन बीमा निगम द्वारा नामित व्यक्ति के खाते में बीमा राशि का चैक भेजा जायेगा। विलम्ब की स्थिति में दावा जीवन बीमा निगम द्वारा अस्वीकार करने पर ग्रामीण क्षेत्र में सम्बन्धित ग्राम सेवक एवं शहरी क्षेत्र में अधिशाषी अधिकारी/ आयुक्त/ मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तरदायी होंगे। 8. दावा प्रस्तुत करते समय आवेदन पत्र के साथ संलग्न किये जाने वाले दस्तावेज :- (1) मृत्यु प्रमाण पत्र - सामान्य एवं दुर्घटना की दशा में मृत्यु होने पर। (2) पोस्टमार्टम रिपोर्ट - दुर्घटना के कारण मृत्यु की दशा में। (3) प्रथम सूचना रिपोर्ट - दुर्घटना के कारण मृत्यु/ स्थायी अपंगता की दशा में। (4) पुलिस अंवेषण रिपोर्ट - दुर्घटना के कारण मृत्यु/स्थायी अपंगता की दशा में। (5) अधिकृत सरकारी चिकित्सक द्वारा अपंगता प्रमाण पत्र - दुर्घटना के कारण स्थायी अपंगता (अ) स्थायी पूर्ण अपंगता (ब) अंगों की हानि/दृष्टिहीनता। (6) आयु के साक्ष्य के रूप में उक्त के बिन्दु 6(2) में अंकित दस्तावेज के संबंधित भाग की फोटो प्रति ग्राम सेवक/ अधिशाषी अधिकारी, नगरपालिका द्वारा सत्यापित कर संलग्न की जाए। (7) अपंगता की स्थिति में सादा कागज पर प्रार्थना पत्र जिसमें अपंगता का विवरण अधिकृत सरकारी चिकित्सक द्वारा जारी अपंगता प्रमाण पत्र के साथ, बैंक खाता नम्बर तथा बैंक का नाम, पता भरकर ग्रामसेवक/ अधिशाषी अधिकारी से प्रमाणित कराकर भिजवाया जावे। 9. बीमित व्यक्ति के बच्चों को छात्रवृत्ति :- (1) पन्नाधाय जीवन अमृत योजना के अन्तर्गत सभी बीमित सदस्यों के बच्चों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से इस योजना के साथ छात्रवृत्ति भी देय है। (2) छात्रवृत्ति हेतु पात्रता : (अ) बीमित सदस्य के 9वीं, 10वीं, 11वीं तथा 12वीं कक्षा में अध्ययनरत अधिकतम 2 बच्चों को देय है। (ब) अभिभावक का इस योजना के अधीन बीमित होना आवश्यक है। (स) छात्र के अनुत्तीर्ण होने की दशा में छात्रवृत्ति का भुगतान देय नहीं है। (3) छात्रवृत्ति का लाभ : (अ) रूपये 100 प्रतिछात्र प्रतिमाह अथवा रूपये 300 प्रतिछात्र प्रति तिमाही के आधार पर प्रतिवर्ष 1200 रूपये प्रतिछात्र किन्तु अधिकतम 4 वर्षों के लिए देय है। (ब) छात्रवृत्ति का भुगतान शैक्षणिक सत्र जून से मई तक की अवधि के लिए किया जाता है। (4) प्रक्रिया : (अ) छात्रवृत्ति हेतु कोई प्रीमियम देय नहीं है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के सरकारी एवं निजी क्षेत्र के विद्यालय के संस्था प्रधान एवं बी.पी.एल./आस्था कार्डधारक बीमित व्यक्ति के छात्रों के छात्रवृत्ति आवेदन फार्मों को पूर्ण कराकर सम्बन्धित पंचायत/ नगर पालिका के माध्यम से भारतीय जीवन बीमा निगम के जयपुर स्थित कार्यालय को भिजवायेंगे। (ब) छात्रवृत्ति योजना में प्रयुक्त होने वाले प्रपत्र (अनुलग्नक 3,4,5) संलग्न हैं। (स) जीवन बीमा निगम द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के बीमित परिवार के छात्रों हेतु छात्रवृत्ति की राशि चैक से सम्बन्धित जिला शिक्षा अधिकारी को भिजवाई जायेगी, जो प्राप्त छात्रवृत्ति राशि का सम्बन्धित छात्रों को भुगतान करवाके उपयोगिता प्रमाण पत्र जीवन बीमा निगम जयपुर कार्यालय को भिजवायेंगे। |
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