अनुसूचित जाति उप योजना
योजना का परिचय :- वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल जनसंख्या 565.07 लाख है, जिसमें से 96.94 लाख (17.16 प्रतिशत) अनुसूचित जाति, 70.98 लाख (12.56 प्रतिशत) अनुसूचित जनजाति की है। राज्य में वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार साक्षरता दर 61.03 प्रतिशत है, जिसमें 76.46 प्रतिशत पुरूष एवं 44.34 प्रतिशत महिलाएं साक्षर हैं। कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति की साक्षरता दर 41.06 प्रतिशत है तथा अनुसूचित जनजाति की साक्षरता दर 44.70 प्रतिशत रही है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में 432.93 लाख जनसंख्या निवास करती है, जबकि शहरी क्षेत्र में 132.14 लाख जनसंख्या निवास करती है। कुल जनसंख्या का 77.40 लाख अनुसूचित जाति की जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है जबकि 19.54 लाख जनसंख्या शहरी क्षेत्र में निवास करती है। इस प्रकार अनुसूचित जाति के 96.94 लाख व्यक्ति राज्य में निवास करते हैं। अनुसूचित जातियों के समयबद्ध एवं सर्वांगीण विकास के लिए राज्य में वर्ष 1979-80 से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग (नोडल विभाग) के अधीन विशिष्ठ संघठक योजना प्रारम्भ की गई थी। योजना आयोग, भारत सरकार के निर्देशानुसार वर्ष 2006-07 में इस योजना का नाम बदलकर अनुसूचित जाति उप योजना कर दिया गया है। इस योजना के अन्तर्गत विकास से सम्बद्ध प्रत्येक विभाग द्वारा अपनी चिन्हित योजनाओं के अन्तर्गत अनुसूचित जाति के परिवारों को लाभान्वित करने के लिए आवश्यक धनराशि एवं परिवार संख्या का लक्ष्य रखा जाता है ताकि राज्य सरकार के सभी कार्यक्रमों का उपयुक्त लाभ अनुसूचित जातियों तक पहुँचाया जा सके एवं विकास योजनाओं का वास्तविक लाभ उन्हें मिल सके। अनुसूचित जाति उप योजना वास्तव में राज्य योजना में एक योजना है। इस योजना में विभागों द्वारा जो प्रवाह सृजित किया जाता है वह राज्य योजना मद से अनुसूचित जाति की जनसंख्या के अनुपात में किया जाता है। अनुसूचित जाति के अधिकांश लोग अभी भी गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं, अत: इस योजना का उद्देश्य उनके जीवन का सम्पूर्ण विकास कर उनके रहने व काम करने की दशा में समुचित सुधार लाना है। योजना के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं :-
अनुसूचित जाति के अधिकांश लोग अभी भी गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं, अत: इस योजना का उद्देश्य उनके जीवन का सम्पूर्ण विकास कर उनके रहने व काम करने की दशा में समुचित सुधार लाना है। योजना के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं :- योजना की प्रगति :- योजना के प्रारम्भिक वर्ष 1979-80 में इस योजना के अन्तर्गत राज्य योजना से जो प्रवाह मात्र 2.57 प्रतिशत था वह वर्ष 2011-12 में बढ़कर 16.83 प्रतिशत हो गया है। यह प्रगति निरन्तर विकास कार्यक्रमों का परिणाम है जो कि विभिन्न चरणों में प्राप्त की गई है। योजना की वर्ष 1979-80 से 2009-10 में वित्तीय प्रावधान, व्यय राशि एवं उनका प्रतिशत निम्न तालिका में दर्शाया गया है :- |
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उपरोक्त तालिका के अनुसार वर्ष 2009-10 के लिए राज्य योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति उप योजना व्यय 15.20 प्रतिशत रहा है, जबकि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप अनुसूचित जाति उप योजना व्यय का मानदण्ड 17.16 प्रतिशत (राज्य की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति का प्रतिशत) है। कम व्यय का कारण विभागों को समय पर राज्य योजना से राशि आवंटित नहीं होना तथा राज्य योजना में नॉन फ्लो सेक्टर्स का सम्मिलित किया जाना प्रमुख है। वर्ष 2009-10 में बीस सूत्री कार्यक्रम का सूत्र संख्या 10(34) ''अनुसूचित जातियों का कल्याण'' के अन्तर्गत परिवार/ व्यक्तिगत लाभ योजनाओं हेतु 4,12,000 व्यक्तियों को लाभान्वित करने के लक्ष्य के विरूद्ध 4,69,042 व्यक्तियों को लाभान्वित किया गया। योजना का क्रियान्वयन अनुसूचित जाति उप योजना के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक सम्बन्धित विभाग को अपनी वार्षिक योजना में से पृथक से ''मांग संख्या 51 के अन्तर्गत बजट उपशीर्ष 789 - अनुसूचित जाति का कल्याण'' संधारित करने के लिए वर्ष 2011-12 से वार्षिक योजना का 17.16 प्रतिशत भाग अनुसूचित जाति उप योजना हेतु बजट प्रावधान कर दिया गया है। भारत सरकार से प्राप्त दिशा-निर्देश भारत सरकार से वर्ष 2006-07 में अनुसूचित जाति उप योजना क्रियान्वित करने हेतु नये दिशा-निर्देश प्राप्त हुए जिसके विभागवार मुख्य बिन्दु निम्न प्रकार हैं :-
योजना की समीक्षा अनुसूचित जाति उप योजना के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु माननीय मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की अध्यक्षता में गठित ''राज्य स्तरीय स्टेयसिंग कमेटी'' द्वारा त्रैमासिक प्रगति की समीक्षा की जाती है, जिसमें अनुसूचित जाति उप योजना से संबंधित समस्त विभागाध्यक्षों को आमंत्रित कर उनके विभाग की विकासीय योजनाओं की वित्तीय एवं भौतिक प्रगति की चर्चा की जाकर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को प्रत्यक्ष लाभ की योजना बनाने के निर्देश दिये जाते हैं। |
Updated on 11.03.2011 |