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सम्‍बल ग्राम विकास योजना

भारतीय योजना आयोग के कार्यालय ज्ञापन (Office Memorandum) दिनांक 18 अगस्‍त, 2009 द्वारा जारी संशोधन अनुसार सम्‍बल योजनान्‍तर्गत सम्‍बल ग्रामों से तात्‍पर्य उन ग्रामों से है जहॉं अनुसूचित जाति की जनसंख्‍या कुल जनसंख्‍या के अनुपात में 40 प्रतिशत से अधिक है। राज्‍य में वर्ष 2001 की जनगणना अनुसार वर्तमान में सम्‍बल ग्रामों की संख्‍या 4110 है। इससे पूर्व जिन ग्रामों में अनुसूचित जाति की जनसंख्‍या 50 प्रतिशत अथवा अधिक हो उन्‍हें सम्‍बल ग्राम कहा जाता था, जिनकी राज्‍य में कुल संख्‍या 2463 थी।

विभिन्‍न जिलों में सम्‍बल ग्रामों की संख्‍या का विवरण निम्‍न प्रकार है :-  (जिले के सम्‍बल ग्रामों की सूची हेतु संबंधित जिले पर क्लिक करें)

क्र.सं. नाम जिला सम्‍बल ग्रामों की संख्‍या क्र.सं. नाम जिला सम्‍बल ग्रामों की संख्‍या
1 अजमेर

28

17 जयपुर

161

2

अलवर

154

18

जैसलमेर

46

3

बॉंसवाड़ा

8

19

जालौर

35

4

बारां

79

20

झालावाड़

102

5

बाड़मेर

156

21

झुन्‍झुनू

38

6

भरतपुर

174

22

जोधपुर

49

7

भीलवाड़ा

74

23

करौली

103

8

बीकानेर

125

24

कोटा

74

9

बून्‍दी

55

25

नागौर

99

10

चित्तौड़गढ़

103

26

पाली

42

11

चूरू

119

27

राजसमन्‍द

24

12

दौसा

140

28

सवाई माधोपुर

96

13

धौलपुर

103

29

सीकर

20

14

डूँगरपुर

4

30

सिरोही

55

15

श्रीगंगानगर

1269

31

टोंक

95

16 हनुमानगढ़

472

32 उदयपुर

8

 वर्ष 2013 से पूर्व के चयनित राज्‍य में कुल सम्‍बल ग्राम 4110

वर्ष 2013 में चयनित 712 नवीन सम्‍बल ग्राम

वर्ष 2013 में चयनित 288 नवीन सम्‍बल ग्राम

 

सम्‍बल योजनान्‍तर्गत आधारभूत सुविधाओं के विकास

एवं विस्‍तार हेतु करवाये जाने वाले निर्माण कार्यों बाबत दिशा-निर्देश

 

1. विभाग द्वारा जिले के चयनित सम्‍बल ग्रामों में आधारभूत सुविधाओं के विकास, विस्‍तार या निर्माण पर 5.00 लाख रूपये तक की लागत राशि के कार्य स्‍वीकृत किये जा सकेंगे।

2. योजनान्‍तर्गत कुल आवंटित राशि में से 75 प्रतिशत राशि चयनित आदर्श सम्‍बल ग्रामों के विकास कार्यों को करवाये जाने हेतु कलक्‍टर स्‍तर पर स्‍वीकृत की जावेगी एवं शेष 25 प्रतिशत राशि अन्‍य सम्‍बल ग्रामों में ग्रामवासियों की आवश्‍यकतानुसार आरक्षित राशि में से निदेशालय एवं राजस्‍थान अनुसूचित जाति जनजाति वित्‍त एवं विकास सहकारी निगम के स्‍तर पर स्‍वीकृतियॉं जारी की जायेंगी।

3. विभाग द्वारा ऐसे कार्यों हेतु राशि आवंटित की जायेगी, जो कार्य अन्‍य विभाग द्वारा उस ग्राम में सामान्‍यत: सम्‍पादित नहीं किये गये हों। प्राथमिकता का निर्धारण गॉंव की आवश्‍यकता को ध्‍यान में रखकर किया जायेगा। निम्‍नलिखित कार्य स्‍वीकृत किये जा सकेंगे :-

  अ) पक्‍की सड़क
  ब) पानी की जी.एल.आर., पाईप लाईन
  स) बिजली की लाईन, खम्‍भे (पोल)
  द) विद्यालय भवन का निर्माण
  य) अन्‍य कार्य निदेशालय की पूर्व अनुमति से

4.    सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा आवंटित राशि जिला परिषद् के निजी निक्षेप खाते में उस जिले में जिला कोषालय द्वारा हस्‍तान्‍तरित की जायेगी तथा वांछित स्‍वीकृतियां जारी कराकर अधिकतम एक वर्ष में ही निर्धारित कार्य पूर्ण करवाया जायेगा तथा व्‍यय की गई राशि के उपयोगिता प्रमाण-पत्र सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग को मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी के हस्‍ताक्षर युक्‍त मूल प्रति में जिला परिषद् द्वारा उपलब्‍ध कराये जायेंगे। कार्यक्रम का क्रियान्‍वयन एवं पर्यवेक्षण सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग के जिला स्‍तरीय कार्यालय द्वारा किया जायेगा।

5.    जिन ग्रामों में आधारभूत सुविधा उपलब्‍ध करवाई जानी है, उस ग्राम का चयन जिला कलक्‍टर की अध्‍यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जायेगा। समिति में निम्‍न सदस्‍य होंगे :-

  अ) मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद् सदस्‍य
  ब) परियोजना प्रबन्‍धक, राजस्‍थान अनुसूचित जाति जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लि. सदस्‍य
  स) उप निदेशक/ सहायक निदेशक/ जिला परिवीक्षा एवं समाज कल्‍याण अधिकारी, सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग सदस्‍य सचिव
 
आधारभूत सुविधाओं के विकास एवं विस्‍तार हेतु समिति गॉंव का चयन निम्‍न प्राथमिकताओं पर ही करेगी :-

1.    ग्राम का चयन जिले के सम्‍बल ग्रामों में से अनुसूचित जाति की जनसंख्‍या का आकार एवं उसका प्रतिशत व अभी तक विकास कार्य की स्थिति (विभिन्‍न योजनाओं के अन्‍तर्गत) आदि का सामूहिक अधिभार के आधार पर प्रतिवर्ष प्राथमिकता के आधार पर किया जायेगा। चयनित सम्‍बल ग्रामों में प्रतिवर्ष एक या दो कार्य ही स्‍वीकृत किये जायेंगे।

2.   आधारभूत सुविधाओं का विकास एवं विस्‍तार भविष्‍य की आवश्‍यकता को मध्‍यनज़र रखते हुए किया जाना है। कार्यकारी एजेन्‍सी का निर्धारण जिला कलक्‍टर स्‍तर पर किया जायेगा।

3.   सम्‍बन्धित विभागों से करवाये जाने वाले कार्यों हेतु जिला कलक्‍टर स्‍तर पर ही कार्यवाही किया जाना अपेक्षित होगा। प्रशासनिक विभाग सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग ही रहेगा।

4.   योजना के सम्‍बन्‍ध में आवश्‍यक तालमेल, क्रियान्‍वयन की प्रगति आदि से अवगत करवाने का कार्य जिला कलक्‍टर के निर्देशानुसार जिले में पदस्‍थापित समाज कल्‍याण अधिकारी द्वारा किया जायेगा।

5.   समिति द्वारा जिले के चयनित सम्‍बल ग्राम में आधारभूत सुविधाओं के विकास एवं विस्‍तार हेतु करवाये जाने वाले कार्यों पर होने वाले सम्‍भावित व्‍यय का अनुमानित व्‍यय ब्‍यौरा एवं कार्य का तकमीना एवं नक्‍शा जिला कलक्‍टर द्वारा सीधे ही सम्‍बन्धित विभाग को भिजवाया जाना है। सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग को ऐसे कार्य का अनुमानित व्‍यय ब्‍यौरा/ कार्य का तकमीना एवं नक्‍शा प्रेषित किया जाना है जिसे अन्‍य विभाग द्वारा करवाया जाना सम्‍भव नहीं है। ध्‍यान रहे कि विभाग द्वारा अधिकतम एक ग्राम हेतु 5.00 लाख रूपये की राशि ही स्‍वीकृत किया जाना सम्‍भव होगा।

6.   संबंधित विभागों तथा सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा स्‍वीकृत राशि से सृजित चल/ अचल सम्‍पत्ति राज्‍य सरकार की पूर्व स्‍वीकृति बिना निष्‍पादित नहीं की जायेगी।

7.   इस राशि से सृजित लेखे राज्‍य सरकार अथवा उसके प्रतिनिधि की जांच हेतु सदैव खुले रहेंगे।

8.   कार्य की प्रगति रिपोर्ट प्रत्‍येक माह की 15 तारीख तक सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता विभाग एवं प्रबन्‍ध निदेशक, राजस्‍थान अनुसूचति जाति जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड, जयपुर कार्यालय को भेजी जायेगी।

9.   निर्माण कराये जाने वाले कार्यों हेतु प्रस्‍तावित भूमि का ग्राम पंचायत द्वारा नियमानुसार नि:शुल्‍क पट्टा जारी किया जाना आवश्‍यक है।

10.  निर्माण कार्यों का तकमीना ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी ग्रामीण कार्य निर्देशिका / सार्वजनिक निर्माण विभाग की वी.एस.आर. के अनुरूप ही होंगे।

11.  कार्य की व्‍यय राशि मूल स्‍वीकृति से अधिक होने की स्थिति में अधिक व्‍यय राशि सम्‍बन्धित ग्राम पंचायत अथवा अन्‍य मद से की जावेगी। सम्‍बल योजना मद से अतिरिक्त राशि देय नहीं होगी।

12.  सम्‍बल योजना मद के अन्‍तर्गत नवीन कार्य ही स्‍वीकृत किये जा सकेंगे। अन्‍य मद से स्‍वीकृत अपूर्ण कायर्घ्‍ योजना में नहीं लिये जा सकेंगे।

13.  भवन या निर्मित कार्य के रखरखाव अथवा मरम्‍मत के लिए सम्‍बल योजना मद में भविष्‍य में कोई राशि देय नहीं होगी।

14.  स्‍वीकृत कार्य अधिकतम एक वर्ष में पूर्ण कराना आवश्‍यक होगा।

15.  कार्य की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्‍वीकृति जारी होने की एक माह की समयावधि में कार्य प्रारम्‍भ करवाया जाना आवश्‍यक है।

16. कार्य का उपयोगिता / पूर्णता प्रमाण पत्र कार्य की समाप्ति के एक माह के उपरान्‍त सम्‍बन्धित जिला परिषद् द्वारा इस विभाग को भिजवाया जाना आवश्‍यक है।

17.  चिन्हित आदर्श सम्‍बल ग्रामों के अतिरिक्त जिले के अन्‍य सम्‍बल ग्रामों में निदेशालय एवं अनुसूचित जाति जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड स्‍तर पर उपलब्‍ध आरक्षित राशि से कार्य कराये जा सकेंगे। ऐसे कार्यों के प्रस्‍ताव मय तकमीना एवं नक्‍शे के जिला कलक्‍टर के माध्‍यम से निदेशालय को भिजवाये जायेंगे। प्रस्‍ताव के साथ ही कार्यकारी ऐजेन्‍सी का चयन जिला स्‍तर पर ही किया जाकर प्रस्‍तावित किया जायेगा।

18.  यथा सम्‍भव कार्यों की स्‍वीकृति जिला परिषद् स्‍तर पर गठित कमेटी के माध्‍यम से किये जावें ताकि एक ही कार्य के एक से अधिक एजेन्‍सी द्वारा स्‍वीकृति / भुगतान की स्थिति ना बने।

19.  कार्य का भुगतान जिला परिषद् स्‍तर से किया जावे।

20.  किसी कार्य की राज्‍य स्‍तर पर स्‍वीकृति आवश्‍यक हो तो मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद् यह प्रमाण पत्र देवे कि प्रस्‍तावित कार्य पहले किसी योजनान्‍तर्गत स्‍वीकृत नहीं हुआ है।

 

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